वसंत ऋतु
धरती पर ऋतुएं अनेक प्रकार की है, वसंत ऋतु ही है जो ऋतु का राजा कहलाती हैं। तभी तो भगवान कृष्ण ने भी कहा है ऋतु में मैं वसंत हूं।
वसंत ऋतु का आरंभ फरवरी, मार्च, अप्रैल महीना में आता है और यह सर्दी के मौसम के बाद आती है। इस दिन ऋतुराज को बुलावा भेजा जाता है कि वह आकर शीत से ठिठुरती हुई अपनी प्रजा को आकर बचाए और हमें ठंड से राहत मिलती है। इसलिए निमंत्रण को स्वीकार करके ऋतुराज ठाट - बाट से फगुआ बीते विराजता है।
जब वसंत ऋतु आता है तो प्राकृतिक का रंग रूप बदलने लगता है, वसंत ऋतु के आते ही चारों ओर पेड़ पौधे में हरियाली और रंगीन छा जाती है, कोयल कू - कू करने लगती है और इसके आने की खुशी में बसंत पंचमी का त्यौहार मनाते हैं। प्राकृतिक का नया परिधान धारण होता है।
वसंत का मौसम स्वच्छ के लिए अत्यंत लाभदायक है। न अधिक जाड़ा न अधिक गर्मी होती है। इसलिए सभी समान रूप से बसंत ऋतु का स्वागत करते हैं। वन में मोर नाचते हैं और फसल कटकर खलिहानो में आ जाती है। फिर तो लोग ढोल और झाल लेकर बैठ जाते हैं और मन में रंगीन होली के गीत के गाने लगते हैं।
वसंत उमंग, आनंद, काव्य, संगीत और सौंदर्य की ऋतु है। सच्ची बात यह है यह हमारे प्यार और सौंदर्य का पाठ पढ़ाता है। यही कारण है कि सिर्फ भारत में ही नहीं, सारे संसार में किसकी पूजा होती है। सभी लोग बड़ी बेसब्री से इसका इंतजार करते हैं और आने पर अपनी प्रिया तो बताते हैं....बसंत आया...